विषय विशेषज्ञ "मुरे डार्लिंग नदी घाटी प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी" के साथ कार्यशाला
7 फरवरी 2012
लोक सेवक मण्डल स्थित हरिहरनाथ शास्त्री भवन, कानपुर में ’गंगा सेवा संकल्प’ कानपुर द्धारा आयोजित गंगा नदी पर आयोजित नागरिक संवाद में बोलते हुए आस्ट्रेलिया की मुरे डार्लिंग नदी बेसिन आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी0 ई0 ओ0) डॉ0 डॉन ब्लैकमोर ने कहा कि नागरिक समाज, सरकार और तकनीक से गंगा की और उससे जुड़ी नदियों की निर्मल धारा प्रदूषण मुक्त नदी संभव है इसके साथ ही हमें इस गंगा योजना, नदी योजना में, विषय विशेषज्ञ प्रोफेशनल की जरुरत है आस्ट्रेलिया में नदी प्रबन्धन से जुड़े विभाग हर बात के लिए जवाबदेह हैं और हर विभाग अपने कामों को ईमानदारी से निभाता है भारत में नदी, जल प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियां को प्रोफेशनल होने की जरुरत है इसे कुशल प्रबंधन और जवाबदेही विभाग बनाने का काम सामुदायिक समाज को करना है। गंगा नदी के प्रदुषण उन्मूलन और अविरल प्रवाह के साथ जल संसाधन का समुचित प्रबंधन सर्कार समाज और तकनीक के समुचित संयोजन से ही संभव हो सकता है. मतलब सरकार को यह विश्वास हो जो की पूंजी निवेश सुनिश्चित करे. जनता को विश्वास हो तो वह अपनी सहभागिता के मानक तय करे. गंगा और भारतीय नदियों से जुडी समस्याएं जटिल हैं और इनके लिए ढांचागत संसाधन विकसित करने के लिए बहुत बड़े पूंजी निवेश की जरुरत है. जरुरत है आर्थिक पहलुओं, तकनीकी दक्षता और सामाजिक सरोकारों की समग्रता सुनिश्चित करके दीर्घकालिक कार्ययोजनाओं पर आधारित दृष्टिकोण तलाशने की ! ये बात विश्व बांध आयोग के पूर्व मुखिया रहे डा. डान ब्लैकमोर ने लोक सेवक मंडल कानपुर में आयोजित कार्यशाला के अपने उद्बोधन में कही !
आई. आई. टी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग प्रमुख और गंगा रिवर बेसिन प्राधिकरण के सदस्य डा. विनोद तारे ने जोर देकर कहा कि भारत में संसाधनों और तकनीकी दक्षता की कमी नहीं है. जरुरत है व्यवस्था के पारदर्शी और जवाबदेह होने की. पिछली सरकारी कार्ययोजनाओं असफलता से में शहर के नागरिकों का विश्वास कम से कमतर हुआ है और जनजुडाव घटा है. जरुरत है ऐसे मंचों की जहाँ पर सरकार समाज और तकनीकी विशेषज्ञों के सार्थक पारदर्शी संवादों की निरंतरता बनायीं जा सके ! प्रो0 तारे ने कहा इसमे नागरिकों का दबाव और सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति महत्वपूर्ण है भ्रष्टाचार के भेंट गंगा न चढ़े इसके लिए नागरिको को पहल करनी होगी।
डॉ0 राकेश जायसवाल के यह पूछे जाने पर कि क्या मुरे डार्लिंग नदी घाटी योजना कि यहाँ पुनरावृत्ति सम्भव है डॉ0 ब्लैकमोर ने बताया कि वैज्ञानिक तथ्यों की पुनरावृत्ति संभव है लेकिन सामाजिक सरोकारो से जुड़े योजनाएं को यहाँ के समुदायों और नागरिक समाज को सुनिश्चित करना होगा।
राकेश मिश्र ने कहा कि भारत में नागरिक प्रबंधन जल प्रबंधन से जुड़े विभाग भ्रष्ट और असंवेदनशील है इसलिए गंगा जैसी राष्ट्रीय नदी जिससे इस देश की पहचान है वह अपना आस्तित्व खोती दिखती है। इसके लिए देश के संत समाज और नागरिक समाज को एक होना होगा।
कैप० एस सी त्रिपाठी ने कहा कि प्रस्तावित आर्थिक माडल की असफलता की दशा में जिम्मेदार चाहे कोई भी हो लेकिन उसके दुष्परिणाम की भुक्तभोगी आम जनता ही होगी ,इसलिए विकल्पों का चुनाव बहुत सावधानी से करने की आवश्यकता है !
रिसर्च स्कालर रुबी शर्मा ने कहा कि हमारे देश के आई0 आई0टियंस को ध्यान देना होगा कि वह अपने शहर से जुड़ी प्रबन्धन और तकनीक की सेवाओं में खुल कर भागेदारी करें उनका योगदान न के बराबर होता है !
दिल्ली से आये अटल बिहारी शर्मा ने सवाल किया कि क्या बढ़े बाँधों के खड़े रहने से अविरल गंगा का बहना संभव है? उन्होने कहा कि हमें गंगा पर कोई भी योजना बनाते समय नागरिक समाज के सुझाव पर ध्यान एवं सर्तक रहने की जरुरत है कि गंगा स्वच्छता के नाम पर गंगा जल का व्यापारीकरण न हो जाय हमे गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए नदी, जल प्रबन्धन योजना की बारीकियों को नदी के किनारे बसे लोगों एवं छात्रों के बीच ले जाना होगए तभी गंगा को राष्ट्रीय मुद्दा बना सकते है।
संगोष्ठी में पद्मश्री गिरिराज किशोर, सईद नकवी (एडवोकेट), वीरेन लोगों, विजय चावला, रामकिशोर बाजपेयी, आरती दीक्षित, लक्ष्मी कनौजिया, रामजी भाई, विष्णु त्रिपाठी, नौशाद आलम उपस्थित रहे।
अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. गिरिराज किशोर, संचालन दीपक मालवीय एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रवीण शुक्ल ने किया !
With a Doctorate in Engineering from La Trobe University, Dr Don Blackmore has
over 40 years' experience in water and natural resources management.
He was Chief Executive, Murray-Darling Basin Commission for 15 years,
until 2004. More recently he has worked on the Nile, Indus, Mekong and
Ganges Rivers. He was a Commissioner on the World Commission on Dams,
and is currently Chair of the Advisory Council for the Commonwealth
Scientific and Industrial Research Organization (CSIRO-Australia)
programme, Water for a Healthy Country. Dr Blackmore works as an
Advisor on the management of large river basins to the World Bank. He
is a Fellow, Australian Academy of Technological Sciences, and a Member,
Order of Australia, for service to the environment and the development
of sustainable water management practices.
Murray River: A Brief History
1860s Murray River becomes a major means of transport between South Australia, Victoria and New South Wales.
1880s
The first diversions of the Murray's water for irrigation lead to
conflict with those concerned with using the river for navigation.
1917 River Murray Commission established by governments of South Australia, Victoria and New South Wales (NSW).
1960s
Concern about rising salinity leads to the role of the Commission
extending to water quality and water management responsibilities.
1985
Concerns about salinity and land degradation leads to further
intense negotiations between states and the signing of a substantial
amendment to the Murray River Agreement, to which the Commonwealth
Government is also signatory.
1990 A new Murray Darling Basin Agreement signed by Victoria, South Australia, NSW and the Commonwealth governments;
subsequently, Queensland and the Australian Capital Territory also sign.
2008 In December, powers and functions of the Murray Darling Basin Commission transferred to the newly formed Murray-Darling Basin
Authority (MDBA) with the principal aim of having the Basin's water resources managed in the national interest. For the first time, a
single agency is responsible for planning integrated management of the water resources of the Murray–Darling Basin.
Main roles and responsibilities of the MDBA
· implementing and enforcing the Basin Plan
· advising the minister on the accreditation of state water resource plans
· developing a water rights information service which facilitates water trading across the Murray–Darling Basin
· measuring and monitoring water resources in the Basin
· gathering information and undertaking research
· educating and engaging the community in the management of the Basin's resources
The MDBA also has several programmes to manage the water resources of the Murray-Darling Basin in conjunction with the Basin states:
· The Native Fish Strategy to
restore native fish populations in the Basin to 60 per cent of their
estimated pre-European settlement levels within 50 years
· The Living Murray programme to achieve a healthy working River Murray system for the benefit of all Australians
· The River Murray Water Quality Monitoring programme
to report and assesses water quality, variability and trends, in order
to guide management actions along the River Murray and the lower reaches
of its tributaries and storages
· The River Murray Operations to
direct water releases from storages and control diversions of water
from the river for irrigation and agricultural use, and for consumers in
urban areas
· The Water Trade Programme to coordinate and refine the rules for trading water interstate
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