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Showing posts from October 15, 2017

ताकि बिहारी और पहाड़ी को गाँव में ही मिल जाये दिहाड़ी

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ग्रामीण विकास विभाग द्वारा एक विज्ञप्ति में ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य उपलब्धता में सुधार का अनुमानित लेखा जोखा पटल पर रखा गया। रोजगार की किल्लत दूर करने के लिए विभाग का जोर सड़क निर्माण क्षेत्र पर है| सरकार कुशल, अर्द्धकुशल दिहाड़ी मजदूर को पीएनएवाई-ग्रमीण तथा पीएनजीएसवाई के अंतर्गत  में अस्थायी रोजगार का प्रोत्साहन दे रही है। इसके चलते ग्रामीण विकास कार्यों के लिए मौजूदा बजट 2012-13 के ग्रामीण विकास विभाग के बजट के दोगुने से अधिक हो गया है। 14वें वित्त आयोग और राज्य के योगदान को जोड़ दिया जाए तो सभी कार्यक्रमों और रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी खर्चे के लिए मौजूद धन 5 वर्षों की तुलना में तिगुना से अधिक हो जाता है। इसी खर्चे से 51 लाख मकान निर्माणाधीन हैं, एक लाख किलोमीटर सड़कें निर्माण के विभिन्न चरणों में है| कृषि तथा संबंधित गतिविधियों के लिए मनरेगा के अंतर्गत बड़े स्तर पर दिहाड़ी रोजगार के अधिक अवसर सुनिश्चित हुए हैं।  हालाँकि इन विकास कार्यों के रोजगार अस्थायी हैं और खानाबदोशी को बढ़ावा देने वाले हैं,  दीन दयाल अंत्योदय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएन) के अंतर्

कौन कौन मिलने वाले हैं मुख्यमंत्री योगी से

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उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भारत देश के पांचवें हिस्से का सबसे अहम् किरदार है| इस लिहाज से देश ही नहीं दुनिया के लिए भी खास अहमियत रखता है| लेकिन शायद इस बार कद और ज्यादा बढ़ रहा है| अमेरिकी और ब्रिटिश कंपनियों में बोइंग, मेर्क, प्रैट एंड व्हिटनी, मेडट्रोनिक, एडोबी, कोकाकोला, उबेर, हनीवेल, प्रॉक्टर एंड गैम्बल और कारगिल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के मुखिया योगीजी से मिलने को बेक़रार हैं| इनके प्रतिनिधि योगीजी से मिलकर निवेश के अवसरों पर चर्चा करेंगे| प्रदेश के प्रमुख सचिव राजीव कुमार इसके बारे में बताएँगे कि सरकार इन विदेशी फर्मों के लिए क्या सहूलियतें मुहैया कराने जा रही है| मीटिंग में अमेरिकी दूतावास और यूएस ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारी भी शामिल होंगे|  इन बैठकों के सिलसिले कोई नयी बात नहीं लेकिन  इसमें दो अहम् बिंदु हैं, पहला है यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम और दूसरा प्रदेश सरकार की इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट प्रमोशन पालिसी| इन्ही के मार्फ़त मेडिकल क्षेत्र की अमेरिकी कंपनियों को बुलावा दिया जा रहा है| जीई हेल्थकेयर, मर्क शार्प, एमएसडी और मेडट्रोनिक

तीन टन प्लास्टिक लेकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं गंगा और ब्रह्मपुत्र

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एक अध्ययन में बात सामने आई है कि 90 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा समुद्रों में पहुँचाने का काम नदियाँ कर रही हैं| शहरों में कूड़े खास कर प्लास्टिक की वाजिब व्यवस्था न होने के चलते नदियाँ पहले से ही प्रदूषित थीं अब उनका प्रदूषण समुद्रों के लिए भी चुनौती बन रहा है| दुनिया भर के आंकड़ों को इकठ्ठा करके जर्मन वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया है उसक]में एशिया और अफ्रीका के नतीजे ज्यादा चिंताजनक बताये गए हैं| बताया जा रहा है कि चार लाख टन से चालीस लाख टन के बीच प्लास्टिक कचरा हर साल समुद्र में  पहुँचता है| इस कचरे का नब्बे प्रतिशत प्रतिशत हिस्सा एशिया की आठ और अफ्रीका की दो नदियों से होकर समुद्र में पहुंचता है| इस अध्ययन में ऐसे संकेत भी मिले हैं कि चीन की येल्लो रिवर के कैचमेंट एरिया में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की सबसे भारी दुर्दशा है| येल्लो समुद्र में गिरने वाली ये नदी अपने पेट में सोलह मिलियन टन प्लास्टिक भरकर समुद्र में पहुंचाती है| उन्ही के अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि गंगा ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के कैचमेंट से तीन मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र में पहुँचती है| ये तीनों नदियाँ बंगाल की ख