आज सुबह आस्था टी वी पर बाबा रामदेव बजट पर व्याख्यान कर रहें थे उसी दौरान उन्हिने नदी जोड़ योजना कि प्रसंशा कि और इसे देश हित में बताया .बहुत निराशा हुई ......अब यह बाबा रामदेव कि विषय पर क्म्जनकारी कि वजह से है या ...........निहित स्वार्थ तत्व जो भारत के लूटने कि नई नई कहले चलते रहते है उनका प्रभाव बाबा तक पहुँच गया है .........क्या कारण है कि बाबा रामदेव भारत विनाश और लूट कि इस परियोजना का समर्थन कर रहें हैं ...................... गँगा बचाओं देश बचाओ ................
पानी का पारंपरिक ज्ञान और पानीदारों की जुमलेबाजी!
पानी तो जमीन की जान है, उसके बारे में सरकारी हीला हवाली में गाँव-गाँव और शहर-शहर बदहाली का आलम है, कर्जा लेकर घी पीने का दौर चल रहा है| अब जमीन और पानी के साथ साथ हवा में भी जहर घोला जा रहा है| ऐसा लगता है कि हम लोग सिर्फ सरकारी कवायदों के उम्मीदवार बन के रह गए हैं| आज से कुछ साल पहले पानी के गहराते संकट का एक शिकार गया शहर भी था| वहां पर भूगर्भ जल स्तर गिरने और नदियों की बदहाली का संकट कानपुर से कम तो नहीं था| लेकिन Ravindrakumar Pathak जी ने वहां एक नजीर पेश की| उन्होंने शा सन-प्रशासन, सरकार और अवाम को साथ लेकर कम से कम दो दर्जन तालाबों को जीवनदान दिया| लगभग पूरे गया शहर में पानी की व्यवस्था में उनकी पहल देश में अद्वितीय उदहारण है| उन्होंने जल प्रबंधन के पारंपरिक ज्ञान से अवाम को भरपूर पानी की सौगात दी| कानपुर में एकदम साफ़ है कि पानी की कहानी महज जुमलेबाजी बन के रह गयी है| कभी किसी ने कह दिया तो कभी किसी ने लिख दिया, इतने भर से तो कुछ हासिल होने वाला नहीं| स्थानीय समुदायों में जल प्रबंधन का पारंपरिक ज्ञान लुप्त हो रहा है और जो बचा भी है वो सरकारों के लिए किसी काम का नहीं... सरकारी
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