कानपुर: विकास के सामने बेदम और बदहाल गाय बचेगी तो शहर बचेगा!
प्रिय अतुल जी और रवि शुक्ला, आज हमने परमट पर मृतक गाय के लिए तेरहवीं और एक सद्भावना सभा का आयोजन किया| परमट पर बंसी बाबा ने हमे बहुत सपोर्ट किया और हमने गाय के दूध से बनी खीर खिला कर लोगों को गौसेवा के लिए संकल्पबद्ध होने की अपील भी की| आज सोमवार था इसलिए वहां भीड़ भी ठीकठाक थी, कुछ छः सौ लोगों ने खीर का प्रसाद लिए और कुछ लोगों से साथ निभाने की कसमें वादे भी किये| वहां दोस्त सेवा संस्थान के रवि शुक्ला जी ने दो ठोस बातें कहीं, एक तो ये कि कि संवेदना और सद्भावना के बगैर गाय की बात करना बेकार है| दूसरी बात ये कि कारोबारी मुनाफे और मजबूरी के चलते बेघर गायें बहुत भारी मुश्किल में हैं| इसलिए गाय के प्रति संवेदना एक अनिवार्य विषय है लेकिन, अपरिमेय आदर्शवाद से बच कर चलना भी समझदारी जैसा ही माना जा रहा है| जाहिर है कि एक दूसरे को, शहर मोहल्ले को नजदीक से देखने समझने की जरुरत है| यह हमारी बसावट की बुनियादी बातें हैं| रविकान्त शुक्ला जी ने इन्ही मामलों में गाय का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है| उनका कहना है कि नगर निगम तो गायों के लिए बने चरागाहों की जमीनों की मेनेजर संस्था है| केडीए और नगर निगम...

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