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Showing posts from May 19, 2017

मोदी सरकार बना रही है विकास का हरित मार्ग

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पर्यावरण ,  वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने पिछले तीन वर्षों के दौरान हरित मार्ग के माध्‍यम से सतत विकास अर्जित करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। वन  : राष्‍ट्रीय वन नीति के उद्देश्‍यों के अनुरूप एमओईएफसीसी ने वन आच्‍छादन को बढ़ाकर  भौगोलिक क्षेत्र के 33 प्रतिशत तक करने के लिए रूपरेखा बनाई है। हरित भारत मिशन का लक्ष्‍य वन गुणवत्‍ता तथा 5 मिलियन हेक्‍टेयर को कवर करने के वार्षिक लक्ष्‍य के साथ बंजर भूमि का पुनर्वनीकरण करना है। घटते वन आच्‍छादन की समस्‍या पर विचार करने तथा विकास उद्देश्‍यों के लिए काटे गए वनों की क्षतिपूर्ति के लिए 2016 में संसद में क्षतिपूर्ति वनीकरण विधेयक पारित किया गया जिसे कि 42 , 000 करोड़ रूपये का उपयोग किया जा सके। इस निधि का संग्रह उन वनों से प्राप्‍त वसूलियों से किया गया था जिनका उपयोग गैर वन उद्देश्‍यों के लिए किया गया था। यह एक पार‍दर्शी तरीके से वनों के संरक्षण ,  बेहतरी के लिए निधियों के उपयोग को सुगम बनाता है। केंद्र सरकार ने विभिन्‍न वन कार्यकलापों को महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के साथ अभिसरित करने के लिए

सरकारी बयान: NSSO की रिपोर्ट का ठीक से अध्‍ययन करें पत्रकार

स्वच्छता और आंकड़ों के विषय में नीति निर्माताओं और पत्रकारों की आम राय नहीं बन सकी| पत्रकारों द्वारा लिखी रिपोर्टों को भ्रामक और असत्य मानते हुए सरकार ने एक बयान जारी करके कहा है कि पत्रकार पढ़ लिख कर विवेचन करके सरकारी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दें|    सरकार का कहना है कि एनएसएसओ (राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन) द्वारा  कराए गए तीव्र स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों को मीडिया ने गलत तरीके से उद्धरित किया गया है साथ ही साथ गलत निष्‍कर्ष निकाले गए हैं। इतना ही नहीं, जारी किये गए एक सरकारी बयान में कहा "मीडिया की इन खबरों में निकाले गए निष्‍कर्ष न केवल तथ्‍यात्‍मक दृष्टि से गलत हैं, बल्कि उनकी व्‍याख्‍या भी  गलत तरीके से की गई है"।  सरकारी बयान में इस्‍तेमाल कर्ताओं से अपेक्षा की गयी है कि वे परिशिष्‍टों सहित, स्‍वच्‍छता स्थिति रिपोर्ट का, विशेष रूप से 'कन्‍सेप्‍ट्स और डेफिनेशन्‍स' यानी 'अवधारणाओं और परिभाषाओं का विस्‍तार से अध्‍ययन करें, ताकि उसके निष्‍कर्षों को सही सही और पूर्ण रूप से समझा जा सके। साथ ही साथ सरकार ने जरुरी माना है कि सभी सम्‍बद्ध पक्षों क

देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में एक प्रतिशत की कमी आई

18 मई, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 35.622 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 23 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 123 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 104 प्रतिशत है। 11 मई को समाप्त हुए सप्ताह के अंत में यह 24 प्रतिशत थी।    इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।                              क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति उत्तरी क्षेत्र उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.25 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इ

गंगा से गाद निकालने के लिए चितले समिति ने दिए सुझाव

गंगा से गाद निकालने के लिए चितले समिति ने कई उपायों की सिफारिश की है, जिनमें गाद हटाने के कार्य के लिए वार्षिक गाद बजट से सबसे अधिक गाद हटाने की प्रक्रिया का अध्‍ययन करना, पहले हटाई गई तलछट/गाद के बारे में बताते हुए वार्षिक रिपोर्ट(रेत पंजीयन) तैयार करना और तलछट बजट बनाने का कार्य एक तकनीकी संस्‍थान को सौंपा जा सकता है, आकृति और बाढ़ प्रवाह का अध्‍ययन जिसमें सबसे अधिक गाद वाले स्‍थान से गाद हटाने की आवश्‍यकता का निरीक्षण और पुष्टि करने पर विचार किया जाना शामिल है।       जल संसाधन नदी विकास और गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय ने भीमगौड़ा(उत्‍तराखंड) से फरक्‍का(पश्चिम बंगाल) तक गंगा नदी की गाद निकालने के लिए दिशा निर्देश तैयार करने के वास्‍ते जुलाई 2016 में इस समिति का गठन किया था। राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के विशेष सदस्‍य श्री माधव चितले को समिति का अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया गया था। समिति के अन्‍य सदस्‍य जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय में सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव और केन्‍द्रीय जल तथा विद्युत अनुसंधान स्‍टेशन, पुणे के निदेशक ड